बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
उत्तर -
इण्डोलॉजी - भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं, ग्रन्थों, इतिहास एवं संस्कृति का अध्ययन भारतविद्या (Ideology) कहलाता है। यह एशिया अध्ययन का एक भाग है। इसे भारत अध्ययन या दक्षिण एशियायी अध्ययन भी कहा जाता है। संक्षेप में, इण्डोलॉजी या भारतीय अध्ययन, भारत के इतिहास, संस्कृतियों, भाषाओं एवं साहित्य का आकादमिक अध्ययन है। विशेष रूप से, भारत शास्त्र में संस्कृत, साहित्य और हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य भारतीय धर्मो - जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म एवं पाली साहित्य का अध्ययन भी सम्मिलित है। द्रविड़शास्त्र, दक्षिण भारत की द्रविड़ भाषाओं को समर्पित एक अलग शाखा है।
इण्डोलॉजी इतिहास, संस्कृतियों एवं भारतीय उपमहाद्वीप के साहित्य का शैक्षणिक अध्ययन है। इण्डोलॉजी को इंडिक अध्ययन के रूप में भी जाना जाता है। विद्वानों एवं विश्वविद्यालय प्रशासकों -ने कभी-कभी इन शर्तों के आंशिक रूप से अतिव्यापी व्याख्याएं की हैं। इण्डोलॉजी का शब्द अक्सर जर्मन छात्रवृत्ति के साथ जुड़ा हुआ है।
इण्डोलॉजी को भारतीय समाज के विज्ञान के रूप में जाना जाता है। इण्डोलॉजिकल परिप्रेक्ष्य भारतीय समाज को उन अवधारणाओं, सिद्धान्तों और ढाँचे के माध्यम से समझने का दावा करता है जो भारतीय सभ्यता से निकटता से जुड़े हुए हैं। इसने दावा किया है कि भारतीय समाज संरचना, कार्य और गतिशीलता में अद्वितीय है और इसे यूरोपीय समाज से नहीं जोड़ा जा सकता है। इण्डोलॉजी भारतीय समाज का अध्ययन करने के लिए एक दृष्टिकोण है और विषय के रूप में भारतीय समाज के साथ एक स्वतंत्र अनुशासन भी है। दोनों रूपों में इण्डोलॉजी में भाषा, विश्वासों, विचारों, रीति-रिवाजों, वर्जनाओं, संस्थाओं, समारोहों और संस्कृति के अन्य सम्बन्धि घटकों का अध्ययन किया जाता है।
कलकत्ता के सर विलियम जोन्स द्वारा 1784 में इसकी उत्पत्ति के कारण यह अपने मूल में प्राचीन है। वर्ष 1987 में सर विलियम जोन्स में एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना की, जहाँ उन्होंने संस्कृत एवं इण्डोलॉजी के दो विभागों की शुरुआत की।
परिप्रेक्ष्य की उत्पत्ति पर ध्यान केन्द्रित करते हुए इंडोलॉजिकल पर्सपेक्टिव का मूल विलियम जोन्स, हेनरी मेन, मैक्स मुलर आदि जैसे प्राच्यवादियों के योगदान के कारण है। इन सभी ने अपने अध्ययन को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा और उस सिद्धान्त पर आधारित किया है जो भारत को नियंत्रित करता है। इसलिए इन्हें इंडोलॉजिस्ट भी कहा जाता था। भारतीय समाजशास्त्र के कई संस्थापक पिता भी इंडोलॉजी से प्रभावित हैं। जैसे- बी के सरकार, जी.एस. घुरिये, आर. के. मुखर्जी, इरावती कर्वे, लुई ड्यूमा आदि। जी.एस. घुरिये 'भारतीय समाजशास्त्र के पिता' के रूप में प्रशंसित हैं। घुरिये को 'सैद्धान्तिक बहुलवादी' के रूप में मान्यता दी जाती है। घुरिये का इंडोलॉजिकल अप्रोच भारतीय संस्कृति और सामाजिक संरचना के अध्ययन के इर्द-गिर्द है, जो संस्कृत साहित्य आधार से अपना पोषण प्राप्त करता है। घुरिये बॉम्बे के भंडारकन संस्थान के इंडोलॉजिस्ट के लेखन से अधिक प्रभावित थे। इसलिए उन्हें अक्सर स्वदेशी इंडोलॉजी पर भरोसा करने वाला कहा जाता है। घुरिये के अनुसार भारत का समाजशास्त्र स्थिर नहीं है। यह प्राचीन भारत से निकलता है। मध्यकालीन भारत से यात्रा करता है और आधुनिक भारत तक पहुँचता है। घुरिये के लेखन में जिन कुछ व्यापक क्षेत्रों की पहचान की गई है, वे हैं
(i) जाति
(ii) जनजाति
(iii) नातेदारी
(iv) संस्कृति एवं सभ्यता
(v) धर्म
(vi) संघर्ष एवं एकता का समाजशास्त्र
(vii) परिवार एवं विवाह।
घुरिये के प्रमुख लेखन इस प्रकार हैं-
1. भारत में जाति एवं नस्ल (1932)
2. भारतीय साधु (1958)
3. भारत में सामाजिक तनाव (1968)।
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- प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
- प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
- प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
- प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
- प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
- प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
- प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
- प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
- प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
- प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।